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किसान ग्रीष्मकालीन उड़द की इन उन्नत किस्मों से तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं

किसान ग्रीष्मकालीन उड़द की इन उन्नत किस्मों से तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं

भारत एक कृषि प्रधान देश होने की वजह से विश्व के कई देशों की खाद्यान सुरक्षा को सुनिश्चित करने में अपनी अहम भूमिका निभाता है। 

भारत में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। आज हम बात करने वाले हैं इन्ही में से एक उड़द की फसल के विषय में। उड़द की खेती को यदि भौगोलिक दृष्टिकोण से देखें तो यह मुख्यतः हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के सिंचित इलाकों में की जाती है। 

उड़द एक कम समयावधि की फसल है, जिसको पकने में 60 से 65 दिनों का वक्त लगता है। गर्मी का मौसम उड़द की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

उड़द एक दलहनी फसल है, जिसकी भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और हरियाणा के सिंचित इलाकों में खेती की जाती है। 

उड़द एक अल्प कालीन फसल है, जिसको पकने में 60 से 65 दिनों का समयांतराल होता है। बतादें, कि उड़द के एक दानें में 60% प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 24% प्रतिशत प्रोटीन और 1.3% प्रतिशत वसा पाया जाता है। 

गर्मी का मौसम उड़द की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यदि आप भी गर्मी के मौसम में उड़द की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो हमारा यह लेख आपके लिए ही है। 

आज हम आपके लिए ग्रीष्मकालीन उड़द की कुछ उन्नत प्रजातियों की जानकारी लेकर आए हैं, जिनकी गर्मी में खेती कर आप काफी मोटा मुनाफा हांसिल कर सकते हैं।

ग्रीष्मकालीन उड़द की उन्नत किस्में कौनसी हैं ?

भारत में ग्रीष्मकालीन उड़द की उन्नत किस्में उपस्थित हैं, जिनमें पीडीयू 1 (बसंत बहार), आईपीयू 94-1 (उत्तरा), पंत उड़द 19, पंत उड़द 30, पंत उड़द 31, पंत उड़द 35, एलयू 391, मैश 479 (केयूजी 479), मुकुंदरा उड़द-2, नरेंद्र उड़द-1, शेखर 1, शेखर 2, आजाद उड़द 1, कोटा उड़द 3, कोटा उड़द 4, इंदिरा उड़द प्रथम और यूएच-04-06 शामिल है। अगर आप इस प्रजाति की उड़द की खेती करते हैं, तो यह पकने में लगभग 65 से 80 दिनों का वक्त खींच लेती है।

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उड़द के बीज उपचार की प्रक्रिया क्या है ?

गर्मियों के दिनों में आपको उड़द की बुवाई करने से बीजों को 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलोग्राम उपचारित करना चाहिए। 

इसके पश्चात उड़द के बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस की 7 ग्राम लेकर प्रति किलोग्राम बीज को शोधित करना चाहिए। आपको बुवाई से तकरीबन 2 से 3 दिन पूर्व बीज उपचार करना चाहिए। 

इसके बाद आपको 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर से 10 किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। उपचारित बीज को 8 से 10 घंटे तक छाया में रखने के उपरांत ही बिजाई करनी चाहिए। 

जायद में हाइब्रिड करेला की खेती किसानों को मालामाल बना सकती है, जानें कैसे

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किसान भाई रबी की फसलों की कटाई करने की तैयारी में है। अप्रैल महीने में किसान रबी की फसलों के प्रबंधन के बाद हाइब्रिड करेला उगाकर तगड़ा मुनाफा हासिल कर सकते हैं। 

करेला की खेती सालभर में दो बार की जा सकती है। सर्दियों वाले करेला की किस्मों की बुआई जनवरी-फरवरी में की जाती है, जिसकी मई-जून में उपज मिलती है। 

वहीं, गर्मियों वाली किस्मों की बुआई बरसात के दौरान जून-जुलाई में की जाती हैं, जिसकी उपज दिसंबर तक प्राप्त होती हैं।

समय के बदलाव के साथ-साथ कृषि क्षेत्र भी आधुनिक तकनीक और अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं। वर्तमान में किसान पारंपरिक फसलों की बजाय बागवानी फसलों की खेती पर अधिक अग्रसर हो रहे हैं। 

अब किसान बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से बाजार में दोहरे उद्देश्य को पूर्ण करने वाली सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। क्योंकि, बाजार में इस प्रकार की सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है। 

दरअसल, करेला की सब्जी की भोजन हेतु सब्जी होने के साथ-साथ एक अच्छी औषधी है।

पारंपरिक खेती की बजाय व्यावसायिक खेती पर बल

तकनीकी युग में अधिकांश किसान व्यावसायिक खेती पर ज्यादा बल दे रहे हैं। विशेषकर, बहुत सारी कंपनियां किसानों को अग्रिम धनराशि देकर करेले की खेती करवा रही हैं। 

इसके लिए लघु कृषक कम जमीन में मचान प्रणाली का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं। इससे करेले की फसल में सड़ने-गलने का संकट अत्यंत कम होता जा रहा है। साथ ही, किसानों को कम लागत में शानदार पैदावार हांसिल हो रही है।

हाइब्रिड करेला की खेती के लिए कैसा मौसम होना चाहिए  

हाइब्रिड करेला की सदाबहार प्रजातियों की खेती के लिए मौसम की कोई भी सीमा नहीं है। इसलिए बहुत सारे किसान अलग-अलग इलाकों में हाइब्रिड करेला उगाकर शानदार धनराशि अर्जित कर रहे हैं। 

इनके फल 12 से 13 सेमी लंबे और 80 से 90 ग्राम वजन के होते हैं। हाइब्रिड करेला की खेती करने पर एक एकड़ में 72 से 76 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है, जो सामान्य से काफी ज्यादा है। 

हाइब्रिड करेला कम परिश्रम में अधिक फल प्रदान करता है 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, हाइब्रिड करेला कम मेहनत में देसी करेले की तुलना में अधिक उपज प्रदान करते हैं। वर्तमान में किसान भाई देसी करेले की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। 

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किसान भाई ध्यान रखें कि हाइब्रिड करेला के पौधे बड़ी तीव्रता से बढ़ते हैं। हाइब्रिड करेला के फल काफी बड़े होते हैं, जो कि सामान्य तौर पर नहीं होता है। इनकी संख्या काफी ज्यादा होती है। हालाँकि, हाइब्रिड करेला की खेती भी देसी करेला की तरह ही की जाती है। 

जानकारी के लिए बतादें, कि हाइब्रिड करेला का रंग और स्वाद काफी अच्छा होता है, इसलिए इसके बीज काफी ज्यादा महंगे होते हैं। 

हाइब्रिड करेला की सबसे अच्छी किस्में

कोयंबटूर लौंग और हाइब्रिड करेला की प्रिया किस्में उत्पादन में सबसे अग्रणी हैं। करेले की बेहतरीन और उत्तम किस्मों में कल्याणपुर सोना, बारहमासी करेला, प्रिया सीओ-1, एसडीयू-1, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हारा, सोलन, पूसा टू सीजनल, पूसा स्पेशल, कल्याणपुर, कोयंबटूर लॉन्ग और बारहमासी भी शामिल हैं। हाइब्रिड करेले की खेती करने के लिए खेत में अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया रहती है।

महिला किसान केवल एक क्लिक करते हुए मुफ्त बीज वितरण योजना का फायदा कैसे उठाएं

महिला किसान केवल एक क्लिक करते हुए मुफ्त बीज वितरण योजना का फायदा कैसे उठाएं

हम सभी को लगता है, कि खेती करना एक आसान काम है। लेकिन ऐसा नहीं है, कृषि में एक बार फसल लगा लेने के बाद उत्पादन लाने के लिए बहुत सी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। इस काम में किसानों की मेहनत-मजदूरी से लेकर मिट्टी, मौसम, तकनीक, विधि, प्रबंधन, उर्वरक, कीटनाशक, मजदूरी, मेहनत, निगरानी, सिंचाई या फिर कटाई करने का तरीका। इन सभी कामों को बेहतर ढंग से करके आप अच्छे परिणाम हासिल कर सकते हैं, लेकिन इस बीच जो बेहद जरूरी है। वह है कृषि उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला भी। अगर बीज नहीं होगा तो फसल उत्पादन करना संभव ही नहीं है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो जिस तरह से एक अच्छा घर बनाने के लिए नीम की मजबूती मायने रखती है। ठीक उसी तरह एक अच्छी फसल के लिए स्वस्थ और उन्नत बीज होना बेहद जरूरी है। बीज की क्वालिटी जितनी ज्यादा अच्छी होगी। उत्पादन भी उतना ही अच्छा होता है। साथ ही अगर किसान अच्छी क्वालिटी का बीज नहीं उग आते हैं, तो उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है। बाजार में देसी और हाइब्रिड बीज अच्छे दामों पर मिलते हैं। कृषि विशेषज्ञ और सरकार भी इन बीजों को सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाती है। इन सबके बीच राजस्थान सरकार ने एक बहुत ही कमाल की पहल की है, जिसमें खेती के लिए तमाम फसलों के बीज सरकार द्वारा मुफ्त बांटे जा रहे हैं। यह काम मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत किया जाता है। इस स्कीम के जरिए राज्य की सरकार महिला सशक्तिकरण का काम भी कर रही है। यानी इस स्कीम का लाभ सिर्फ महिला किसान या किसान परिवारों की महिला सदस्यों को दिया जाता है। ताकि कृषि के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके और उन्हें आत्मनिर्भर बना सकें।

मुफ्त बीज वितरण योजना

राजस्थान सरकारों ने किसानों की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना चलाई है। जिसके तहत कृषि से जुड़े हुए सभी कार्यक्रमों के जरिए किसानों को लाभ दिया जाएगा।
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इस स्कीम के तहत राजस्थान मिलिट्स प्रोत्साहन मिशन और राजस्थान बीज उत्पादन और वितरण कार्यक्रम भी शामिल है। जिसके तहत राज्य की महिला किसानों या किसान परिवारों की महिला सदस्यों को दलहन और मोटे अनाजों के बीजों की मिनीकिट दी जाती है। ताकि वो इन बीजों से खेती करके आत्मनिर्भर बन सके। इस स्कीम के तहत प्रमुख तौर पर मूंग, मोठ, उड़द, सरसों, ज्वार, जई, बाजरा समेत कई फसल के बीजों की मिनी किट निशुल्क दी जाती है।

कौन उठा सकता है योजना के तहत लाभ

राजस्थान में महिला किसानों और किसान परिवारों की महिला सदस्यों को बीजों की एक मिनीकिट मुफ्त में वितरित की जा रही है। इस योजना के तहत प्राथमिकता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिला किसान को दी गई है। लेकिन महिला के पिता, पति, ससुर के नाम से जमीन हो, या किसान परिवार की सदस्य हो, तब भी आवेदन करने पर सरकार की तरफ से बीज की मिनीकिट उपलब्ध करवाई जाती है।

कैसे मिलेंगे योजना के तहत मुफ्त बीज

इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिला किसानों को आर्थिक बल देना है। इस योजना का लाभ रबी और खरीफ सीजन की शुरुआत में दिया जाता है। जिले में कृषि विभाग के अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक महिलाओं को बीजों की मिनीकिट मुफ्त में वितरित करते हैं। इसके लिए महिला को अपना जन आधार कार्ड दिखाना होता है। अगर आप भी राजस्थान में रहती हैं और महिला किसान हैं या फिर किसान परिवार की महिला हैं। आप अपने जिले में ही स्थित कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर इसके बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा अगर आप घर बैठे जानकारी लेना चाहते हैं। सरकार की तरफ से टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। जो है 1800-180-1551 यहां पर कॉल करते हुए आप आगामी बीज वितरण कार्यक्रम के बारे में सारी जानकारी ले सकते हैं।

महिला किसानों को मिला आर्थिक संबल

किसी राज्य में महिला किसानों के लिए चलाई जा रही सबसे खास योजनाओं में एक राजस्थान सरकार की बीजों की निशुल्क मिनीकिट वितरण योजना भी है। इस स्कीम का लाभ लेने वाली महिला किसानों को कहना है, कि कई बार खेती के लिए उनके पास पैसे नहीं होते। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी और खेती करने में परेशानी होती थी। लेकिन आज सरकार की योजना से आर्थिक संबल मिलने के बाद खाली खेतों भी हरियाली से लहलहा उठे हैं।